सिकन्दर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा
भारत की राजनीतिक दशा ( Political Condition of IndiA
सिकन्दर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा- 326 ई ० पू ० में सिकन्दर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा अत्यन्त शोचनीय थी । इसका कारण यह था कि उस समय भारत अनेक छोटे – छोटे राज्यों में विभाजित था । इन राज्यों में एकता का अभाव था तथा उनमें शक्ति प्राप्ति के लिए परस्पर लड़ाइयां चलती रहती थीं । वे एक – दूसरे का विनाश देखकर प्रसन्नता अनुभव करते थे । ऐसी स्थिति में कोई भी शक्तिशाली विदेशी आक्रमणकारी भारत पर सफलतापूर्वक अधिकार कर सकता था ।
सिकन्दर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा
1. कठोई-Kathoi– रावी और ब्यास नदियों के बीच अनेक कबीलों का शासन था जिनमें कठोई कबीला सर्वाधिक विख्यात था । यह एक गणतन्त्र राज्य था । इसकी राजधानी का नाम सांगला ( आधुनिक स्यालकोट ) था । वे बहुत युद्ध – प्रेमी थे ।
2. अस्पेसियन-Aspasian— यह राज्य काबुल नदी के उत्तर में स्थित था । इस राज्य के प्रमुख नगर अन्दक तथा ऐरिजियम थे । उस समय यहां का शासक यूअस्पला था ।
3. नीसा-Nysa— नीसा राज्य काबुल तथा सिन्धु नदियों के मध्य स्थित था । यह एक गणतन्त्रात्मक राज्य था । सिकन्दर के आक्रमण के समय यहां पर अकूफीस का शासन था ।
4. गूरेअन्स-Guraeans — यह राज्य अस्पेसियन तथा अस्सकीनोस राज्यों के मध्य स्थित था । इस क्षेत्र में गुरेअन्स अथवा पंजकोर नदी बहती थी ।
5. तक्षशिला-Taxila— सिन्धु और झेलम नदियों के बीच के प्रदेश पर अम्भी का शासन था । उसकी राजधानी का नाम तक्षशिला ( टैक्सिला ) था । यह एक विख्यात व्यापारिक केन्द्र था । यहां की भूमि भी बहुत उपजाऊ थी । परिणामस्वरूप यह राज्य बहुत समृद्ध था । दुर्भाग्यवश इसका राजा अम्भी बड़ा स्वार्थी , कायर और देश – द्रोही था । वह अपने पड़ोसी राज्यों को नष्ट करने के लिए घटिया से घटिया कार्य करने के लिए तैयार था ।
6. अस्सकीनोस-Assakenos– पश्चिमोत्तर भारतीय सीमा पर अनेक स्वतन्त्र कबीलों का शासन था । इनमें से अस्सकीनोस नामक कबीला सर्वाधिक विख्यात था । उनका राजधानी का नाम मसग था । पहाड़ियों से घिरा होने के कारण यहां के दुर्ग को अजेय माना जाता था । इस कबीले की सैनिक शक्ति भी पर्याप्त थी जिसमें बीस हजार घुड़सवार , तीस हज़ार पैदल और अनेक हाथी सम्मिलित थे । इस कबीले के लोग बहुत लड़ाकू और स्वतन्त्रता – प्रेमी थे ।
7. अभिसार-Abhisara – इस राज्य में आधुनिक पुंछ और नौशहरा के जिले सम्मिलित थे । यहां का राजा अभिसार एक सच्चा देश भक्त था । वह मातृ भूमि की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहता था ।
8. मल्लोई -Malloi— मल्लोई अथवा मालव राज्य चिनाब तथा सिन्धु नदियों के संगम तट पर स्थित था । यह एक गणराज्य था । इसके पास एक शक्तिशाली सेना थी जिसमें 90 हज़ार पैदल , 10 हज़ार घुड़सवार तथा 900 युद्ध रथ थे । मल्लोई कबीला बहुत युद्ध प्रिय था ।
9. पोरस का राज्य-The Kingdom of Poros- झेलम और चिनाब नदियों के बीच के प्रदेश पर पोरस का राज्य था । यह राज्य बहुत विस्तृत और शक्तिशाली था । इस राज्य में 300 नगर थे । पोरस की सेना भी बहुत शक्तिशाली थी जिसमें 50,000 पैदल , 3,000 घुड़सवार , 1,000 रथ और 130 हाथी सम्मिलित थे । पोरस स्वयं एक महान् देश – भक्त था । उसकी बढ़ती हुई शक्ति के कारण अनेक शासक उससे बहुत ईर्ष्या करते थे और उसके राज्य का अन्त करने के स्वप्न देख रहे थे ।
10. मगध-Magadha — ब्यास नदी के पूर्व में मगध का विख्यात साम्राज्य स्थित था । यह साम्राज्य बहुत शक्तिशाली था । सिकन्दर के आक्रमण के समय यहां पर नन्द वंश के शासक धनानन्द का शासन था । उसकी राजधानी का नाम पाटलिपुत्र था । उसकी सेना बहुत शक्तिशाली थी । इसमें दो लाख पैदल सैनिक , बीस हज़ार घुड़सवार , दो हज़ार रथ और तीन हज़ार हाथी सम्मिलित थे । ऐसे शक्तिशाली साम्राज्य से टक्कर लेना कोई सरल कार्य न था । उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि सिकन्दर के आक्रमण के समय उत्तर – पश्चिमी भारत में राजनीतिक एकता का सर्वथा अभाव था । यहां के शासक एक – दूसरे को नीचा दिखा कर प्रसन्नता का अनुभव करते थे । इस राजनीतिक स्थिति से सिकन्दर को भारत पर आक्रमण करने की प्रेरणा मिली ।
11. अष्टक-Astak — काबुल और सिन्धु नदी के मध्यवर्ती प्रदेश में अष्टक नामक एक छोटा – सा राज्य था । यह नाम इसके राजा अष्टक से पड़ा । उसकी राजधानी का नाम पुष्कलावति था । अष्टक एक देश – भक्त राजा था । वह भारत पर किसी भी विदेशी शासन को सहन नहीं कर सकता था ।
12. सौभूति ( Sophytes ) — सिकन्दर के आक्रमण के समय यह एक महत्त्वपूर्ण राज्य था । यह झेलम नदी के तट पर बसा हुआ था । यहां की शासन व्यवस्था तथा सामाजिक स्थिति बहुत अच्छी थी । यह राज्य नमक की पहाड़ियों के 72 लिए प्रसिद्ध था ।
13. आगलस्सोई ( Agalassoi ) — ये सिबोई के पड़ोसी थे । यह एक शक्तिशाली राज्य था । इसके पास 40 हजार पैदल तथा 3 हज़ार घुड़सवार सैनिक थे ।
14. गन्दरीस-Gandaris — यह राज्य चिनाब तथा रावी नदियों के मध्य स्थित था । इसे मद्र देश भी कहा जाता था । इस पर पोरस के एक निकटवर्ती सम्बन्धी का राज्य था जिसे इतिहासकारों ने छोटे पोरस का नाम दिया है । उसमें शूरवीरता का अभाव था । अतः वह भी एक कायर शासक प्रमाणित हुआ ।
15. आबस्टनोई -Abastanoi — सिकन्दर के भारतीय आक्रमण के समय आबस्टनोई एक महत्त्वपूर्ण राज्य था । यह एक गणराज्य था तथा मल्लोई का पड़ोसी था । पहले आबस्टनोई कबीला एक लड़ाकू कबीला था किन्तु बाद में इसने कुछ अन्य व्यवसायों को अपना लिया था । इनकी सैन्य शक्ति काफ़ी मज़बूत थी जिसमें 60 हज़ार पैदल सैनिक , 6 हज़ार घुड़सवार तथा 500 युद्ध रथ सम्मिलित थे ।
16. सिबोई-Siboi— यह कबीला भारत के अत्यन्त प्राचीन कबीलों में से एक था । वे झंग जिले के शिरकोट क्षेत्र में रहते थे । वे जंगली जानवरों की छाल पहनते थे । सिकन्दर के आक्रमण के समय यहां का राजा उशीनर था ।
17. मौसिकनोष-Mousikanos – यह राज्य सिन्ध में स्थित था । इसकी राजधानी का नाम एलोर था । इस राज्य में ब्राह्मणों का प्रभुत्व था । सिकन्दर के आक्रमण के विरुद्ध इन ब्राह्मणों ने जनमत तैयार किया था तथा उसका सफलतापूर्वक मुकाबला किया था ।
18. क्षुद्रक-Kshudraka— यह राज्य झेलम तथा चिनाब नदियों मध्य स्थित था । यह एक गणराज्य था । यहां के निवासी अपनी वीरता तथा लड़ाकू प्रवृत्ति के लिए काफ़ी प्रसिद्ध थे ।
19. ग्लोगनिकाई -Glauganikai– यह एक विशाल राज्य था तथा यह चिनाब नदी के पश्चिम में स्थित था । यह एक गणराज्य था । इस राज्य में 37 नगर थे ।