बिन्दुसार कौन था-Who Was Bindusara

बिन्दुसार-

चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार 298 ई ० पू ० में मगध के सिंहासन पर बैठा । उसके जीवन एवं शासनकाल की घटनाओं से सम्बन्धित हमें विशेष जानकारी प्राप्त नहीं है । इसलिए अनेक इतिहासकार उसके शासन को कुछ विशेष महत्त्व नहीं देते । किन्तु ऐसा मत रखना उस महान् शासक के साथ अन्याय करना होगा जिसने अपने पिता से प्राप्त साम्राज्य को सुरक्षित एवं संगठित रखा । उसने 273 ई ० पू ० तक शासन किया । उसके शासनकाल की मुख्य घटनाओं का संक्षिप्त विवरण निम्न अनुसार है :

बिन्दुसार

1. दक्षिण भारत की विजय-Conquest of South India — बिन्दुसार भी अपने पिता चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह एक वीर योद्धा एवं विजेता था । तिब्बती इतिहासकार तारानाथ लिखता है कि बिन्दुसार ने 16 शासकों तथा सामन्तों को पराजित करके दक्षिण भारत पर अधिकार कर लिया था । इसमें कोई सन्देह नहीं कि दक्षिणी भारत पर मौर्यों का अधिकार अशोक से पूर्व हो गया था किन्तु यह कहना कठिन है कि इस पर चन्द्रगुप्त मौर्य ने विजय प्राप्त की थी अथवा उसके पुत्र बिन्दुसार ने । कुछ इतिहासकारों का कथन है कि दक्षिण भारत पर चन्द्रगुप्त ने अधिकार किया था । वे यह तर्क देते हैं कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अन्तिम वर्ष श्रवणबेलगोला ( कर्नाटक ) में व्यतीत किए थे । इससे यह स्पष्ट होता है कि यह प्रदेश उसके साम्राज्य का अभिन्न अंग था ।

2. तक्षशिला में विद्रोह-Revolt in Taxila — बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला जो उत्तरापथ की राजधानी थी , में एक भीषण विद्रोह हो गया था । उस समय वहां का कुमार ( गवर्नर ) बिन्दुसार का ज्येष्ठ पुत्र सुसीम था । वह इस विद्रोह का दमन करने में विफल रहा । परिणामस्वरूप बिन्दुसार ने इस विद्रोह के दमन के लिए अपने दूसरे पुत्र अशोक को भेजा जोकि उस समय उज्जैन का कुमार था । जब अशोक अपनी सेना के साथ तक्षशिला पहुंचा तो लोगों ने उसका स्वागत करते हुए कहा , हमारा न तो राजकुमार से विरोध है तथा न ही राजा बिन्दुसार से , हमें तो दुष्ट आमात्यों ने बहुत तंग किया है । अशोक ने बहुत सुगमता से इस विद्रोह का दमन कर दिया तथा पुनः शान्ति की स्थापना की । इसके पश्चात् विन्दुसार ने अशोक को ही वहां का कुमार नियुक्त कर दिया ।

3. विदेशी राज्यों से सम्बन्ध- Relations with Foreign Countries – बिन्दुसार ने अपने पिता चन्द्रगुप्त मौर्य की नीति पर चलते हुए विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखे । इस समय तक यूनान के शासक सेल्यूकस की मृत्यु हो चुकी थी तथा एण्टिओकस प्रथम उसका उत्तराधिकारी बना था । बिन्दुसार ने उसे यूनान को मदिरा , अंजीर तथा एक दार्शनिक भेजने का सन्देश दिया । एण्टिओकस प्रथम ने उसे प्रथम दो वस्तुएं तो भेज दीं किन्तु तीसरी को यह कहकर भेजने से इन्कार कर दिया कि हमारे यहां दार्शनिक बेचने की प्रथा नहीं है । किन्तु विन्दुसार से मैत्री को स्थायी बनाए रखने के उद्देश्य से उसके दरबार में डीमेकस नामक राजदूत को भेजा । इसी प्रकार मिस्र के सम्राट् टाल्मी फिलाडेल्फस द्वितीय ने उसके दरबार में डियोनीसियस नामक राजदूत को भेजा । इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बिन्दुसार अपने समय का एक प्रभावशाली शासक था ।

4. मृत्यु-Death— बिन्दुसार के अनेक पुत्र थे जो सत्ता के लिए आपस में लड़ते – झगड़ते रहते थे । अतः विन्दुसार के जीवन के अन्तिम वर्ष बहुत कष्ट में बीते । उसकी 273 ई ० पू ० में मृत्यु हो गई ।

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