अशोक का जीवन परिचय
अशोक का जीवन परिचय-Ashoka’s biography
अशोक के जीवन का वर्णन
अशोक की गणना न केवल भारत अपितु विश्व के महान् सम्राटों में की जाती है । उसकी तुलना प्रायः रोमन सम्राट् कान्स्टेन्टाइन , इज़रायल के सोलमान तथा मुग़ल सम्राट् अकबर से की जाती है । अशोक ने अपने कार्यों से इतिहास में अपना नाम सदैव अमर बना दिया है । अशोक के आरम्भिक जीवन का वर्णन निम्न प्रकार से है
अशोक का जीवन परिचय
1. जन्म-Birth— अशोक बिन्दुसार का पुत्र तथा चन्द्रगुप्त का पोता था । उसका जन्म 294 ई ० पू ० में हुआ था । परन्तु डॉ ० आर ० के ० मुखर्जी उसकी जन्म तिथि 304 ई ० पू ० मानते हैं । बौद्ध परम्परा के अनुसार बिन्दुसार की 16 पत्नियां तथा 101 पुत्र थे । सुसीम उसका सबसे बड़ा पुत्र था और अशोक दूसरे नम्बर पर था । सबसे छोटे पुत्र का नाम तिष्य था जो अशोक का सगा भाई था । अशोक की माता के विषय में इतिहासकारों में काफ़ी मतभेद है । बौद्ध जनश्रुति के अनुसार उसकी माता का नाम ‘ सुभद्रांगी ‘ था जो चम्पा के एक ब्राह्मण की कन्या थी । परन्तु दक्षिणी परम्परा के अनुसार उसकी माता का नाम ‘ धम्मा ‘ था जो एक क्षत्रिय कन्या थी ।
2. गवर्नर अथवा कुमार के रूप में-As a Governor or Kumar – अशोक के बाल्यकाल के विषय में भी हमें कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता । परन्तु ऐसा कहा जाता है कि अशोक बचपन से ही अपने दूसरे भाइयों से अधिक वीर तथा बुद्धिमान् था । उसकी योग्यता को देखते हुए 18 वर्ष की आयु में ही उसके पिता ने उसे अवन्ती राष्ट्र ( पश्चिमी प्रान्त ) का ‘ कुमार ‘ नियुक्त कर दिया । इसकी राजधानी उज्जयिनी थी । इसी समय तक्षशिला में जनता ने आमात्यों के व्यवहार से तंग आकर विद्रोह कर दिया । अशोक का बड़ा भाई सुसीम इस विद्रोह को दबा न सका । इसलिए अशोक को तक्षशिला भेजा गया जहां पर वह शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ ।
3. विवाह-Marriage— अशोक के शिलालेखों तथा बौद्ध परम्पराओं से पता चलता है कि अशोक ने महादेवी , कारूबाकि , असन्धि मित्रा , पद्मावती तथा तिष्यरक्षिता आदि स्त्रियों से विवाह किए । इनसे उसके यहां चार पुत्र पैदा हुए – महेन्द्र , तीवर , कुणाल तथा जालौक । अशोक की संघमित्रा तथा चारुमती नामक दो पुत्रियां भी थीं ।
4. राजगद्दी के लिए युद्ध-War of Succession— अपने पिता बिन्दुसार की मृत्यु पर अशोक ने महामन्त्री राजगुप्त की सहायता से सिंहासन पर अधिकार कर लिया । परिणामस्वरूप अशोक तथा उसके भाई सुसीम में सिंहासन के लिए युद्ध छिड़ गया । अशोक के सगे भाई तिष्य को छोड़कर उसके शेष सौतेले भाइयों ने सुसीम का साथ दिया । ऐसा कहा जाता है कि अशोक ने अपने 99 भाइयों को मार डाला । इतने भयंकर रक्तपात के पश्चात् अशोक राजसिंहासन पर बैठा । लंका की बौद्ध परम्पराओं के अनुसार भी अशोक को राजसिंहासन पाने के लिए अपने 99 भाइयों का वध करना पड़ा था । परन्तु आधुनिक इतिहासकार इस रक्तपात को मिथ्या बताते हैं । डॉ ० आर ० के ० मुखर्जी ने इस विषय में लिखा है , ” वे ( बौद्ध लोग ) अपने धर्म की शोभा बढ़ाने के लिए उसके चरित्र को कलंकित करना चाहते थे और यह बताना चाहते थे कि उनका धर्म घटिया धातु को सोने में , चण्ड अशोक को धर्म अशोक में तथा अत्याचारी राक्षस को सबसे सादे व्यक्ति में बदल सकता है । ” अशोक के शिलालेख भी इस गाथा का समर्थन नहीं करते । परन्तु एक बात अवश्य माननी पड़ेगी कि अशोक को राजसिंहासन प्राप्त करने के लिए अपने भाई सुसीम से युद्ध अवश्य करना पड़ा था ।
5. राज्याभिषेक-Coronation – बिन्दुसार की मृत्यु 273 ई ० पू ० में हुई परन्तु अशोक का राज्याभिषेक चार वर्ष पश्चात् अर्थात् 269 ई ० पू ० में हुआ था । यहां प्रश्न यह उठता है कि अशोक का राज्याभिषेक चार वर्ष पश्चात् क्यों हुआ । इस विषय में इतिहासकारों के भिन्न – भिन्न मत हैं । कुछ इतिहासकारों का मत है कि राजसिंहासन पर बैठने के समय अशोक की आयु 21 वर्ष की थी और प्रचलित नियमों के अनुसार राज्याभिषेक के लिए 25 वर्ष की आयु होना आवश्यक था । इस कारण अशोक के राज्याभिषेक में 4 वर्ष की देरी हुई । परन्तु डॉ ० आर ० एस ० त्रिपाठी तथा डॉ ० रोमिला थापर इस मत से सहमत नहीं हैं । उनके मतानुसार अशोक को सम्राट् बनने के लिए अपने भाइयों से युद्ध करना पड़ा और इसी कारण उसका राज्याभिषेक चार वर्ष पश्चात् 269 ई ० पू ० में हुआ । जो भी हो 269 ई ० पू ० में अशोक ने राजसिंहासन को पूरी तरह सम्भाल लिया था । इसके पश्चात् उसने ‘ प्रियदर्शी ‘ और ‘ देवानाम प्रिय ‘ की उपाधियां धारण कीं । अशोक ने 232 ई ० पू ० तक शासन किया