कलिंग का युद्ध
कलिंग का युद्ध-The Kalinga War
अशोक की कलिंग विजय कलिंग विजय-Conquest of Kalinga– अपने शासन के आरम्भिक वर्षों में अशोक अपने राज्य का विस्तार करना चाहता था । इसलिए उसने अपने पूर्वजों की विस्तार नीति का अनुसरण किया और कलिंग राज्य पर आक्रमण कर दिया । यह राज्य आधुनिक उड़ीसा के प्रान्त में स्थित था । डॉ ० डी ० आर ० भण्डारकर के शब्दों में , ” ऐसा प्रतीत होता है कि उसके साम्राज्य रूपी शरीर में कलिंग एक कांटे के समान था । अतः राज्य की सुरक्षा तथा सुदृढ़ता के लिए कलिंग को विजित करके अपने साम्राज्य को एक संगठित इकाई बनाना इसके लिए अत्यन्त आवश्यक था । कलिंग नन्द राजाओं के समय में मगध साम्राज्य के अधीन था । सम्भवतः मौर्य वंश की स्थापना के समय वह स्वतन्त्र गया । अशोक के समय में यह एक शक्तिशाली राज्य था । अशोक के 13 वें शिलालेख में कलिंग विजय का वर्णन मिलता है । इसमें लिखा है कि अपने राज्याभिषेक के नौवें वर्ष में अशोक ने कलिंग के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की और एक बहुत विशाल सेना के साथ कलिंग विजय के लिए प्रस्थान किया । उस समय के कलिंग के राजा का नाम पता नहीं है । अशोक और कलिंग के राजा के बीच 261 ई ० पू ० में बड़ा भयंकर युद्ध हुआ । इस युद्ध में एक लाख लोग मारे गए , डेढ़ लाख बन्दी बना लिए गए तथा इससे कई गुना घायल हुए । अन्ततः अशोक कलिंग को विजित करने में सफल रहा । कलिंग युद्ध के प्रभाव-Effects of Kalinga War- कलिंग युद्ध के दूरगामी परिणाम हुए । प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर ए ० के ० मजूमदार का कहना है ” कलिंग का युद्ध सम्राट् के जीवन तथा सम्भवतः भारतीय इतिहास का परिवर्तनीय मोड़ सिद्ध हुआ ।
1. दिग्विजय के स्थान पर धर्म – विजय-Dharamvijaya in Place of Digvijaya— कलिंग युद्ध में विनाशकारी परिणामों तथा मृतक सैनिकों के सगे – सम्बन्धियों के विलाप को देखकर अशोक को बहुत दुःख हुआ । उसने अनुभव किया कि इस सबके लिए वह स्वयं उत्तरदायी है । अतः उसने युद्ध नीति को सदा के लिए तिलांजलि दे दी । अब उसका झुकाव दिग्विजय के स्थान पर धर्म विजय की ओर हो गया ।
2. साम्राज्य का विस्तार-Extension of the Empire – कलिंग विजय से पूर्व अशोक को उत्तराधिकार में एक विशाल साम्राज्य प्राप्त हुआ था जो अफ़गानिस्तान से लेकर मैसूर तक विस्तृत था । परन्तु कलिंग विजय ने मानचित्र पर कलिंग नामक एक उसके साम्राज्य को और अधिक विशालता प्रदान की । अशोककालीन भारत नवीन प्रान्त उभरा जिसकी राजधानी तोशाली बनी । लगभग एक लाख व्यक्ति मारे गए तथा इससे भी कई गुना घायल हुए ।
3. बौद्ध धर्म अपनाना-Adoption of Buddhism – कलिंग युद्ध से पूर्व अशोक शिव का उपासक था । परन्तु युद्ध के उपरान्त उसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया । अशोक शिलालेख नं ० 1 में स्वयं लिखता है , ” मैं केवल एक उपासक था और धर्म के लिए कोई परिश्रम तथा प्रयत्न नहीं करता था , परन्तु एक वर्ष से कुछ अधिक समय पूर्व मैंने संघ में प्रवेश किया और उस समय से मैं इसके लिए परिश्रम तथा प्रयत्न कर रहा हूं । ” ” युद्ध के पश्चात् अशोक ने अहिंसा के सिद्धान्त को अपने जीवन का एक अंग बना लिया । उसने मनुष्यों तथा पशुओं की हत्या पर रोक लगा दी तथा बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए हर सम्भव प्रयास किया । यह उसके प्रयत्नों का ही परिणाम था कि बौद्ध धर्म भारत की सीमाएं पार करके विदेशों में भी फैल गया ।
4. व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव-Effect on Personal Life — कलिंग युद्ध का अशोक के व्यक्तिगत जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा । इस युद्ध के भयंकर परिणामों ने अशोक का पूरा जीवन ही बदल डाला । पहले वह अपने बाप – दादा की भान्ति मांस खाता था , शिकार खेलता था तथा भोग – विलास में लिप्त रहता था । परन्तु इस युद्ध के पश्चात् उसने मांस खाना तथा शिकार खेलना बिल्कुल बन्द कर दिया । वह भोग – वि जीवन त्याग कर प्रजा हितार्थ कार्यों में जुट गया ।
5. धम्म की स्थापना-Establishment of Dhamma – कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक ने अपनी प्रजा के भौतिक सुखों के साथ – साथ उनके आध्यात्मिक विकास का भी ध्यान रखा । उसने नैतिक सिद्धान्तों का संग्रह करके ‘ धम्म ‘ अर्थात् ‘ धर्म ‘ की स्थापना की । धम्म के मुख्य सिद्धान्त बड़ों का आदर करना , बच्चों से प्रेम करना , दान , अहिंसा , सत्य बोलना तथा धार्मिक सहिष्णुता थे । अशोक ने धम्म को लोकप्रिय बनाने के लिए इन नियमों को शिलाओं तथा स्तम्भों पर अंकित करवाया और महामात्यों की नियुक्ति की ।
6. सैनिक अयोग्यता-Military Inefficiency– कलिंग युद्ध के भयंकर परिणामों को देखकर अशोक ने सदा के लिए युद्ध नीति को तिलांजलि दे दी । अब उसका झुकाव अहिंसा की ओर हो गया । एक लम्बे समय तक युद्धों से दूर रहने के कारण अशोक के सैनिक विलासी और आलसी हो गए । यही कारण था कि बाद में जब यूनानियों ने पंजाब पर आक्रमण किया तो सेना उनका सफलतापूर्वक सामना न कर सकी । यह बात मौर्य साम्राज्य के पतन का भी एक प्रमुख कारण बनी ।
सच तो यह है कि कलिंग युद्ध ने एक नए अशोक को जन्म दिया जो पहले अशोक से हर रूप में भिन्न था । अशोक पर कलिंग युद्ध के प्रभाव को डॉ ० राधा कुमुद मुखर्जी ने इन शब्दों में व्यक्त किया है , ने ” ( ‘ अब उसे सम्राट् के उद्देश्य का नया रूप समझ में आया । यह उद्देश्य था एक ऐसा साम्राज्य स्थापित करना जिसका आधार विश्व शान्ति हो और जो राज सत्ता पर बल देने की अपेक्षा लोगों के अधिकारों की रक्षा करे ।
7. प्रजा हितार्थ कार्य-Works of Public Utility– कलिंग युद्ध ने अशोक की शासन नीति को भी अत्यधिक प्रभावित किया । अब वह एक प्रजा हितकारी शासक बन गया । प्रजा के हितों को ध्यान में रखते हुए उसने लोगों के लिए विश्राम गृहों , सड़कों , कुओं आदि का निर्माण करवाया । सड़कों के किनारों पर छायादार वृक्ष लगवाए गए ताकि थके यात्री तथा जानवर उनकी छाया में विश्राम कर सकें । उसने मनुष्यों के साथ – साथ जानवरों के लिए भी अस्पताल खोले ।