बौद्ध धर्म के पतन के कारण
बौद्ध धर्म के पतन के कारण-Causes of the Decline of Buddhism
बौद्ध धर्म के पतन के कारण–भारतवर्ष में एक ऐसा समय आया जब मैदानों , घाटियों और पर्वतों से एक ही आवाज़ आती थी ” बुद्धम् शरणम् गच्छामि । ” तब बौद्ध धर्म की ज्योति में भारत का कण – कण जगमगा रहा था । परन्तु कुछ समय पश्चात् इस ज्योति का प्रकाश मन्द पड़ने लगा । धीरे – धीरे बौद्ध धर्म उन्नति के शिखर से पतन की गहरी खाई की ओर अग्रसर हो गया । संक्षिप्त यह कि जिस देश में इसका जन्म हुआ उसी देश से यह लुप्त हो गया । वैसे आज भी चीन , बर्मा ( म्यांमार ) , जापान आदि देशों के लोग इस धर्म के अनुयायी हैं । भारत में बौद्ध धर्म के पतन के कारणों का वर्णन इस प्रकार है –
बौद्ध धर्म के पतन के कारण-
1. हिन्दू धर्म में सुधार-Reforms in Hinduism— लोगों ने हिन्दू धर्म के व्यर्थ के रीति – रिवाजों से तंग आकर बौद्ध धर्म को अपनाया था । उनका हिन्दू धर्म के मुख्य सिद्धान्तों से कोई विरोध न था । समय अनुसार हिन्दू धर्म में अनेक सुधार किये गये । धर्म में से आडम्बरों का महत्त्व समाप्त कर दिया गया । हिन्दू धर्म वालों ने बुद्ध को देवता मानकर उसकी पूजा करनी शुरू कर दी । उन्होंने बौद्ध धर्म के अहिंसा के सर्वप्रिय सिद्धान्त को भी अपना लिया । इससे हिन्दू तथा बौद्ध धर्म में विशेष अन्तर न रहा । परिणामस्वरूप लोग पुनः हिन्दू धर्म को अपनाने लगे । इस प्रकार हिन्दू धर्म की लोकप्रियता बौद्ध धर्म के ह्रास का कारण बनी ।
2. बौद्ध भिक्षुओं में अनाचार-Corruption in Buddhist Monks– बौद्ध भिक्षुओं के उच्च चरित्र तथा को सदाचारी जीवन ने लोगो को बड़ा प्रभावित किया था । परन्तु समय की बदली करवट ने बौद्ध संघ के अनुशासन बौद्ध संघ के अनुशासन को स्थिल बना दिया स्त्रियों को भी संघ में शामिल कर लिया गया | भिक्षु महात्मा बुद्ध के दस आदेश भूल बैठे । वे विलासी जीवन व्यतीत करने लगे । अतः भिक्षुओं का दूषित आचरण भारत में बौद्ध धर्म को ले डूबा
3. गुप्त राजाओं का हिन्दू धर्म में विश्वास-Faith of the Gupta Kings in Hinduism— अशोक तथा कनिष्क आदि राजाओं का सहयोग पाकर बौद्ध धर्म का विकास हुआ था । इसी प्रकार गुप्त राजाओं का संरक्षण पाकर हिन्दू धर्म पुनः बल पकड़ने लगा । गुप्त राजाओं का किसी धर्म के प्रति विरोध नहीं था । परन्तु वे व्यक्तिगत रूप से हिन्दू धर्म के अनुयायी थे | उनके समय मै हिन्दू देवी देवताओ के मंदिरों की स्थापना हुई राम, कृषण, विष्णु , शिव की उपासना आरम्भ हुई । संस्कृत भाषा को भी काफ़ी बल मिला । इस तरह हिन्दू धर्म में एक नवीन रूप से हिन्दू धर्म के अनुयायी थे । उनके समय में हिन्दू देवी – देवताओं के मन्दिरों की स्थापना हुई । राम , कृष्ण जागृति आई । परिणामस्वरूप लोग काफी संख्या में हिन्दू धर्म में लौटने लगे । बौद्ध धर्म के लिए यह बहुत बड़ा सदाचारी जीवन ने लोगों को बड़ा प्रभावित किया था ।
4. राजकीय आश्रय की समाप्ति-Withdrawal of Royal Patronage– बौद्ध धर्म की उन्नति में राजकीय आश्रय का महत्त्वपूर्ण योगदान था । परन्तु हर्ष की मृत्यु के पश्चात् बौद्ध धर्म राजकीय आश्रय से वंचित राजकीय सहायता काफ़ी आघात पहुंचा । परिणामस्वरूप उनका पतन आरम्भ हो गया ।
5. अहिंसा का सिद्धान्त-Principle of Ahimsa – बौद्ध धर्म में अहिंसा को परम धर्म माना जाता था । इसके प्रभाव में आकर अशोक ने युद्ध करना बन्द कर दिया था । देखने में तो यह एक महान् बात थी , परन्तु इसके कारण भारत में सैनिक दुर्बलता आ गई । अतः हम विदेशी आक्रमणकारियों के हाथों पराजित हो गए । लोगों ने अपनी पराजय का मुख्य कारण बौद्ध धर्म का अहिंसा का सिद्धान्त माना । अतः भारत में बौद्ध धर्म का ह्रास होना स्वाभाविक ही था ।
6. बौद्ध धर्म में मूर्ति पूजा-Idol Worship in Buddhism– प्रथम शताब्दी के पश्चात् बौद्ध धर्म की महायान शाखा के अनुयायी बुद्ध को देवता मानने लगे थे । वे उनकी मूर्ति बनाकर पूजा करने लगे । तब लोगों ने विचार करना शुरू कर दिया कि यदि बुद्ध भी देवता थे , तो हिन्दू धर्म के देवी – देवताओं तथा उनमें क्या अन्तर था ? इसके अतिरिक्त ब्राह्मणों ने भी बुद्ध को देवता स्वीकार कर लिया । इस प्रकार हिन्दू धर्म तथा बौद्ध धर्म में कोई विशेष अन्तर न रहा था । इससे धीरे – धीरे बौद्ध धर्म हिन्दू धर्म में विलीन होकर रह गया ।
7. राजाओं के अत्याचार-Atrocities of the Kings— मौर्य काल में बौद्ध धर्म खूब फला – फूला था । परन्तु मौर्य वंश के पश्चात् राज्य सत्ता पुष्यमित्र के हाथ में आ गई । उसने बौद्धों पर बड़े अत्याचार किए । कहा जाता है कि उसने हर बौद्ध के सिर के लिए 10 स्वर्ण मुहरें इनाम के रूप में घोषित कर दी थीं । इसके अतिरिक्त बंगाल के राजा शशांक ने भी बौद्ध धर्म को बड़ी क्षति पहुंचाई ।
8. मुस्लिम आक्रमण-The Muslim Invasions—11 वीं तथा 12 वीं शताब्दी में भारत पर मुसलमानों के आक्रमण आरम्भ हो गए । उन्होंने भारत पर अपना राज्य स्थापित कर लिया । यह बात बौद्ध धर्म के लिए बड़ी हानिकारक सिद्ध हुई । मुसलमान शासकों ने बौद्ध भिक्षुओं पर बड़े अत्याचार किए तथा उनके मठ तथा मन्दिर भी नष्ट करवा दिए । परिणामस्वरूप बौद्ध धर्म को गहरा आघात पहुंचा और उसका पतन हो गया ।
9. महान् हिन्दू प्रचारकों के प्रयत्न-Efforts of the Great Hindu Preachers आठवीं तथा नौवीं अनेक विद्वानों का मत है कि उन्होंने हिन्दू धर्म के प्रचार के साथ – साथ बौद्ध मत का खण्डन भी किया । उन्होंने हिमालय से कन्याकुमारी तक भ्रमण किया तथा हिन्दू धर्म के सिद्धान्तों को पुनः स्थापित किया । फलस्वरूप बौद्ध धर्म अवनति की जाने लगे ।
10. हृणों के आक्रमण-The Huna Invasions— हूणों के आक्रमणों के कारण भी बौद्ध धर्म को बड़ा आघात पहुंचा । ये लोग बड़े निर्दयी तथा अत्याचारी थे । उन्होंने भारत के उत्तर – पश्चिमी सीमा प्रान्त में अपना राज्य स्थापित कर लिया था । मिहिरगुल उनका प्रसिद्ध राजा था , जिसने बौद्ध धर्म के स्तूपों तथा मठों को नष्ट – भ्रष्ट करबा दिया । उसने अनेक बौद्ध – भिक्षुओं को भी मरवा डाला । परिणामस्वरूप भारत के उत्तर – पश्चिमी भाग में बौद्ध धर्म का पूर्णतया ह्रास हो गया ।
11. राजपूतों का विरोध-Opposition of the Rajputs– आठवीं शताब्दी से लेकर ग्यारहवीं शताब्दी तक समस्त उत्तरी भारत राजपूतों के प्रभुत्व के अधीन आ गया था । राजपूत वीर योद्धा थे , जो अहिंसा की बजाए रक्तपात में अधिक विश्वास रखते थे । अतः राजपूत राजाओं की छत्रछाया में बौद्ध भिक्षुओं के लिए धर्म प्रचार करना कठिन हो गया । अनेक बौद्ध विद्वान् भारत छोड़कर विदेशों में चले गए । इस प्रकार उचित प्रकार के प्रचार कार्य के अभाव के कारण बौद्ध धर्म भारत से लुप्त होने लगा ।
12. बौद्ध धर्म का विभाजन-Split in Buddhism— बौद्ध धर्म के अनुयायी कई शताब्दियों तक एकता के सूत्र में बंधे रहे थे । वे मिलकर आपसी मतभेद दूर करते और इस प्रकार उन्होंने अपनी एकता को बनाए रखा । परन्तु पहली शताब्दी तक उनके भेदभाव विकट रूप धारण कर गए । परिणामस्वरूप प्रथम शताब्दी ई ० में हुई चौथी बौद्ध परिषद् के पश्चात् यह धर्म हीनयान तथा महायान नामक दो शाखाओं में विभक्त हो गया । इन दोनों शाखाओं में आपसी भेदभाव बढ़ते चले गए । उनकी यह फूट ही भारत में इस धर्म को ले डूबी