जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म की देन
जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म की देन-Legacy of Jainism and Buddhism
जैन धर्म की देन ( Legacy of Jainism )
जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म की देन—–जैन धर्म ने अपनी शिक्षाओं से भारत के सामाजिक , धार्मिक , राजनीतिक तथा सांस्कृतिक जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया । इन प्रभावों का वर्णन निम्नलिखित अनुसार है
1. समाज सेवा की भावना-social service spirit — जैन धर्म ने हमें समाज सेवा का उपदेश दिया । लोगों की भलाई के लिए जैनियों में अनेक संस्थाएं स्थापित हुईं । इससे न केवल जनता का ही भला हुआ , अपितु दूसरे धर्मों के अनुयायियों को भी समाज सेवा के कार्य करने का प्रोत्साहन मिला ।
2. हिन्दू धर्म में सुधार-Reforms in Hinduism– जैन धर्म के प्रचार के कारण हिन्दू धर्म में काफ़ी सुधार हुए । जैन धर्म ने हिन्दू धर्म में प्रचलित कुरीतियों तथा कर्मकाण्डों की घोर निन्दा की । दूसरी ओर जैन धर्म के अपने सिद्धान्त बड़े सरल थे जो लोगों को बड़े प्रिय लगे । जैन धर्म की बढ़ती हुई ख्याति को देखकर ब्राह्मणों ने पशु बलि , कर्मकाण्ड तथा अन्य कुरीतियों का प्रचलन बन्द कर दिया । इस प्रकार वैदिक धर्म काफ़ी सरल बन गया ।
3. अहिंसा-Non – Violence— आज हिन्दू समाज में अहिंसा को परम धर्म स्वीकार किया जाता है । इसका श्रेय जैन धर्म को जाता है । सर्वप्रथम जैन ऋषियों ने ही अहिंसा के महत्त्व को समझा तथा इसका प्रचार किया । वास्तव में अहिंसा के सिद्धान्त को जन्म देने वाले तथा उसका प्रचार करने वाले जैनी लोग ही थे ।
4. जाति व्यवस्था की शिथिलता-Laxity of Caste System— जैन धर्म ने जाति प्रथा के कठोर बन्धनों को तोड़ने का प्रयास किया । इससे भारतीय समाज में लोगों का आपसी मेल – जोल बढ़ने लगा । समाज में भेद – भाव का स्थान सहकारिता ने ले लिया । इससे ऊंच – नीच की भावना समाप्त होने लगी और समाज स्नेह तथा बन्धुत्व की भावनाओं से ओत – प्रोत हो गया ।
5. साहित्यिक प्रगति-Literary Progress— जैन धर्म के अनुयायियों ने अपने धर्म का प्रचार लोक भाषाओं में किया । उनका अधिकांश साहित्य संस्कृत की बजाए लोक भाषाओं में लिखा गया है । कन्नड़ साहित्य आज भी अपने साहित्य के लिए जैन धर्म का आभारी है । इसके अतिरिक्त जैन धर्म ने हिन्दी , गुजराती , मराठी आदि भाषाओं के साहित्य में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है ।
6. भारतीय कला में उन्नति-Advancement in Indian Art— जैनियों ने अपने तीर्थंकरों की याद में विशाल मन्दिर तथा मठ बनवाये । ये मन्दिर अपने प्रवेश द्वार तथा सुन्दर मूर्तियों के कारण प्रसिद्ध हैं । दिलवाड़ा का जैन मन्दिर , मैसूर में बनी बाहुबलि की 70 फीट ऊंची मूर्ति दर्शकों को आश्चर्य में डाल देती है । इसी प्रकार आबू पर्वत के जैन मन्दिरों , चित्तौड़गढ़ का जैन – स्तम्भ , उड़ीसा की हाथी गुफाएं तथा खजुराहो के जैन मन्दिरों को देखने वाले भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं । अन्त में हम डॉ ० वी ० ए ० सांगवी के इन शब्दों से सहमत हैं
7. शांत वातावरण-Quiet Environment — जैन धर्म के अहिंसा प्रचार के कारण लोग शान्तिप्रिय बन गए । उन्हें युद्ध से घृणा हो गई । यहां तक कि इस धर्म के अनुयायी राजा भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके । वे अपनी प्रजा के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहते थे । इसी कारण उन्हें जनता को शान्तिप्रिय बनाने के लिए पहले स्वयं अहिंसा के मार्ग पर चलना पड़ा । परिणामस्वरूप देश के अनेक भागों में शान्ति का वातावरण स्थापित हुआ ।
बौद्ध धर्म की देन-Legacy of Buddhism
बौद्ध धर्म के आगमन से भी भारतीय वातावरण एक नवीनता लेकर उभरा । बौद्ध धर्म के कारण भारतीय जीवन का प्रत्येक क्षेत्र प्रभावित हुआ । इन प्रभावों का संक्षिप्त में वर्णन निम्नलिखित अनुसार है
जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म की देन
1. जाति व्यवस्था में ढीलापन-Looseness in The Caste System— बौद्ध धर्म के कारण भारत में जाति बन्धनों में शिथिलता आई । महात्मा बुद्ध ने इस बात का प्रचार किया कि सभी जातियों के लोग समान – आधार पर कोई भी व्यक्ति छोटा – बड़ा नहीं है । मनुष्य को उसका चरित्र ही छोटा अथवा बड़ा बनाता है । महात्मा बुद्ध के इन विचारों से प्रभावित होकर निम्न जाति के लोगों ने सहर्ष बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया और उन्हें समाज में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के रूप में उचित स्थान मिला हैं ।
2. वैदिक धर्म में सादगी-Simplicity in Vedic Religion– हिन्दू धर्म भी बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित हुआ । बौद्ध धर्म अपनी सरलता कारण जनता में लोकप्रिय हो गया था । अतः वैदिक धर्म के अनुयायियों ने भी अपने धर्म में सरलता लाने का प्रयास किया । उन्होंने खर्चीले यज्ञ , पशु बलि , कर्मकाण्ड आदि का त्याग कर दिया । इससे वैदिक धर्म सरल हो गया ।
3. धार्मिक उपदेश का महत्व-Importance of Religious Preaching— धर्म के लिए प्रचारकों की व्यवस्था करना भी बौद्ध धर्म वालों ने ही हमें सिखाया । हिन्दू ऋषि तपस्या का जीवन व्यतीत करने में ही अपना कल्याण समझते थे । वे अपने धर्म को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए प्रचार पर कोई बल न देते थे । परन्तु बौद्ध धर्म की लोकप्रियता ने उनकी आंखें खोलीं । अतः उन्होंने भी प्रचारकों को संगठित करने की नीति अपनाई ।
4. बौद्धिक स्वतन्त्रता-Intellectual Freedom – बौद्ध धर्म के कारण लोगों को बौद्धिक स्वतन्त्रता प्राप्त हुई । महात्मा बुद्ध किसी भी बात की सत्यता को परखे बिना मानने के पक्ष में न थे । वह तो अपने शिष्यों को यहां तक कहते थे कि वे अपनी बुद्धि और विवेक की कसौटी पर उनके उपदेशों को परखें । इस प्रकार लोगों का बौद्धिक विकास हुआ । वे अपनी समस्याएं सोच – समझ कर सुलझाने लगे । परिणामस्वरूप समाज में अन्धविश्वास तथा रूढ़िवादिता का अन्त होने लगा ।
5. राजनीति पर सम्राटों का प्रभाव-Emperors’ influence on politics– बौद्ध धर्म ने अनेक सम्राटों की राजनीति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला । अशोक , कनिष्क तथा हर्ष जैसे महान् सम्राटों ने बौद्धमत के सिद्धान्तों के अनुसार राजकार्य चलाया । इन तीनों सम्राटों ने जनता की भलाई करना ही अपने शासन का लक्ष्य माना । परिणामस्वरूप भारत के वातावरण में शान्ति एवं सद्भाव का संचार हुआ ।
6. नैतिक उत्थान-Moral Uplift— बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर भारतीयों का नैतिक उत्थान हुआ । सदाचार के मार्ग पर चलने लगे । महात्मा बुद्ध चाहते थे कि लोग चोरी न करें , झूठ न बोलें , किसी की निन्दा न करें तथा व्यभिचार में न फंसें । लोगों ने महात्मा बुद्ध के इन सिद्धान्तों को मानने में बड़ा उत्साह दिखाया । इस प्रकार धीरे – धीरे सदाचारी जीवन भारत का आदर्श बन गया ।
7. कला की उन्नति-Advancement of the Arts— बौद्ध धर्म के प्रचार के कारण भारतीय चित्रकला और मूर्तिकला को अत्यधिक प्रोत्साहन मिला । ऐसा लगा जैसे भारतीय कलाकार को अभिव्यक्ति का एक महान् साधन प्राप्त हो गया हो । उस समय की कलाकृतियों में अजन्ता , ऐलोरा तथा बाघ की गुफाएं सुन्दर चित्रों से अलंकृत हैं । इनमें महात्मा बुद्ध समस्त जीवन को पत्थरों पर बड़े कलात्मक ढंग से दर्शाया गया है । महात्मा बुद्ध तथा बोधिसत्त्वों की स्मृति में बने स्मारक बौद्ध – कला के उत्कृष्ट नमूने हैं । निःसन्देह बौद्ध कला ने भारतीय कला की उन्नति को अमूल्य योगदान दिया ।
8. शिक्षा का विकास-Development of Education – बौद्ध धर्म के कारण भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काफ़ी उन्नति हुई । बौद्ध मठों तथा विहारों में विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती थी । इन्हीं विहारों ने आगे चलकर विश्वविद्यालयों का रूप धारण कर लिया । दूर – दूर से विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे । नालन्दा , । उदन्तपुरी के विश्वविद्यालयों ने ही भारत में प्रथम बार व्यवस्थित रूप से शिक्षा देने का श्रीगणेश विक्रमशिला तथा किया । के कारण भारत में ऐतिहासिक साहित्य में काफ़ी उन्नति हुई । बौद्ध ग्रन्थ जहां धार्मिक महत्त्व रखते हैं
9. विदेशों में भारतीय संस्कृति का विस्तार-Expansion of Indian culture abroad – बौद्ध धर्म के कारण अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रसार हुआ । अनेक बौद्ध भिक्षु भारतीय सीमाओं को पार करके चीन , जापान , लंका , जावा , सुमात्रा , कम्बोडिया आदि देशों में अपने धर्म का प्रचार करने के लिए गए । इन भिक्षुओं के साथ भारतीय संस्कृति भी विदेशों में जा पहुंची । अतः जहां विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ , वहां भारतीय संस्कृति का भी प्रसार हुआ ।
10. राजनीतिक एकता की स्थापना-Establishment of Political Unity– बौद्ध धर्म ने भारत में राजनीतिक एकता स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । महात्मा बुद्ध ने भारतीय समाज में जाति प्रथा के बन्धन शिथिल कर दिए थे जिस कारण समानता का प्रसार हुआ । इसके अतिरिक्त भारत के छोटे – छोटे राज्यों में भी समान धर्म के कारण सहयोग तथा भ्रातृ – भाव की भावना जागृत हुई । परिणामस्वरूप देश में राजनीतिक एकता को बल मिला । इसलिए ई ० बी ० हैवल का मत है , ” बौद्ध धर्म ने भारत को एक राष्ट्र बनाने में इसी प्रकार से सहायता की जिस प्रकार कि ईसाई मत ने ऐंग्लो सैक्सन काल में इंग्लैण्ड को दी ।