किसी स्त्री के उसकी स्त्री – धन सम्पत्ति पर क्या अधिकार है ?
किसी स्त्री के उसकी स्त्री – धन सम्पत्ति पर क्या अधिकार है ? What are the rights of women over her Stridhan Property ?
स्त्री – धन के ऊपर स्त्री के अधिकार को उसकी प्रस्थिति के अनुसार निर्धारित किया जाता है ।
( 1 ) अविवाहितावस्था कोई भी स्त्री जो अविवाहित है तथा वयस्क है अपनी सम्पत्ति को किसी को भी हस्तान्तरण कर सकती है परन्तु यदि वह अवयस्क है तो वह अपनी सम्पत्ति का हस्तान्तरण नहीं कर सकती है
( 2 ) विवाहितावस्था – विवाहितावस्था में स्त्री अपनी सौदायिक धन अर्थात् पिता व भाई द्वारा प्राप्त धन का निर्वतन पति की बिना अनुमति के भी कर सकती थी । ऐसा धन जो स्त्री पति से प्राप्त करती थी जिसे वह बिना पति के अनुमति के अन्य संक्रमण नहीं कर सकती थी ।
जहाँ पति पत्नी साथ रहते हैं वहाँ असौदायिक धन के निर्वचन के लिये पति की अनुमति आवश्यक नहीं है ।
नियम यह है कि पति का पत्नी के स्त्रीधन पर कोई अधिकार नहीं होता है किन्तु आपत्तिकाल में वह स्त्री की सहमति के बिना भी उसके धन ( स्त्रीधन ) का उपयोग कर सकता . था । दुर्भिक्ष , धर्म – कार्य तथा व्याधियाँ आदि की दशा में यदि पति के स्त्री धन को लिया हो तो उसको लौटाना अथवा उसकी अदायगी करना पति की इच्छा पर निर्भर करता था ।
विधवा अवस्था में — विधवा अवस्था में स्त्री को सम्पत्ति के निर्वचन के सम्बन्ध में पूर्ण अधिकार प्राप्त है , सम्पत्ति चाहे पति की मृत्यु के पूर्व अथवा बाद में प्राप्त की गई हो । इस अवस्था में समस्त सम्पत्ति उसकी अबाधित सम्पत्ति होती थी । अन्य संक्रमण स्वेच्छा से कर सकती थी । देवदासियों अथवा नर्तकियों की सम्पत्ति न्यागमन सामान्यतः रूढ़ियों अथवा प्रचलित प्रथाओं के आधार पर होता था । उनके यहाँ माता और उनकी पुत्रियों में कोई सहदायिकी नहीं निर्मित होती । अतएव कोई पुत्री माता के विरुद्ध किसी प्रकार की सम्पत्ति में विभाजन का दावा नहीं कर सकती