मौर्य साम्राज्य की स्थापना
मौर्य साम्राज्य की स्थापना-Establishment of the Mauryan Empire
चन्द्रगुप्त द्वारा मौर्य साम्राज्य की स्थापना – मौर्य साम्राज्य की स्थापना और विस्तार में चन्द्रगुप्त मौर्य का योगदान बहुत महत्त्वपूर्ण था । मौर्य साम्राज्य से पूर्व भारत कई छोटे – छोटे राज्यों में विभक्त था । उनमें राजनीतिक एकता का अभाव था । ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर यूनानियों ने भारत के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया । चाणक्य के सिद्धान्तों तथा अपने दृढ़ निश्चय का सहारा लेकर चन्द्रगुप्त ने भारत में प्रथम राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की । इस वीर सेनानायक की विजय गाथा का वर्णन इस प्रकार से है
1. मगध विजय -Conquest of Magadha — मगध विजय चन्द्रगुप्त की सबसे महान् विजय थी । मगध उन दिनों नन्द वंश के अधीन था और उत्तरी भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था । कहते हैं कि नन्द राजाओं की सेना में छः लाख पैदल , दस हज़ार घुड़सवार , दो हज़ार रथ तथा तीन हज़ार हाथी सम्मिलित थे । इस विशाल सेना से लोहा लेना सरल नहीं था । पंजाब विजय के पश्चात् चन्द्रगुप्त की स्थिति सुदृढ़ हो गई थी । अतः उसने मगध पर आक्रमण कर दिया । कश्मीर अथवा नेपाल के राजा प्रवर्त्तक तथा उसके बेटे मल्लकेतु ने भी चन्द्रगुप्त का साथ दिया । डॉ ० थॉमस का कथन है कि प्रवर्त्तक कोई और न होकर पोरस ही था । इस प्रकार यह निश्चित है कि मगध के लिए एक भयंकर युद्ध लड़ा गया । ‘ मिलिन्दपन्हो ‘ से पता चलता है कि इस युद्ध में एक लाख सैनिक , दस हज़ार में हाथी , एक लाख घोड़े तथा पांच हज़ार रथवान मारे गए । प्रवर्त्तक भी इस युद्ध में काम आया । मगध का राजा धनानन्द तथा उसका सारा परिवार मारा गया । इस प्रकार उत्तरी भारत का सबसे बड़ा राज्य मगध चन्द्रगुप्त के अधिकार में आ गया । मगध विजय के तुरन्त पश्चात् 321 ई ० पू ० में चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक हुआ । मगध की राजधानी पर अधिकार से मौर्य साम्राज्य के संगठन तथा विस्तार की प्रक्रिया आरम्भ हो गई ।
2. पंजाब की विजय-Conquest of Punjab– इतिहासकारों में इस विषय को लेकर मतभेद है कि चन्द्रगुप्त ने पहले पंजाब पर विजय प्राप्त की अथवा मगध पर । इसका कारण यह है कि यूनानी इतिहासकारों ने उसकी पंजाब विजय का वर्णन किया है । महावंश टीका के अनुसार चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने पहले मध्य पंजाब पर आक्रमण किया , परन्तु असफल रहे । अब चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने पहले पंजाब के सीमावर्ती प्रान्त को जीतने की योजना बनाई । उन दिनों पंजाब पर फिलिप्स सिकन्दर के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहा था । 325 ई ० पू ० में फिलिप्स का वध कर दिया गया तथा 323 ई ० पू ० में सिकन्दर की भी मृत्यु हो गई । उसकी मृत्यु के बाद उसके नापतियों में राज्य के बंटवारे के प्रश्न पर आपसी युद्ध छिड़ गया । स्थिति का लाभ उठाते हुए चन्द्रगुप्त ने 322 ई ० पू ० में पंजाब पर आक्रमण कर दिया और इस प्रदेश पर अधिकार कर लिया । पंजाब विजय चन्द्रगुप्त के लिए वरदान सिद्ध हुई । इससे जहां एक ओर भारतीयों को विदेशी शासन से स्वतन्त्रता मिली , वहां दूसरी ओर इससे चन्द्रगुप्त के लिए भारत विजय के द्वार खुल गए ।
3 . सैल्यूकस से युद्ध -War against Seleucus – चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना सैल्यूकस के साथ युद्ध था । सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात् उसका साम्राज्य उसके सेनापतियों में बंट गया । सैल्यूकस के हिस्से में रोम सागर से सिन्ध तक का प्रदेश आया । वह भारत में पुनः यूनानी सत्ता की स्थापना करने का इच्छुक था । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने 305 ई ० पू ० भारत पर आक्रमण कर दिया । इस युद्ध के विषय में हमें पर्याप्त जानकारी नहीं मिलती । यूनानी लेखकों ने भी अपने लेखों में इस युद्ध का वर्णन विस्तृत रूप से नहीं किया । फिर भी दोनों पक्षों के बीच हुई सन्धि की शर्तों से अनुमान लगाया जा सकता है कि सैल्यूकस को अपमानजनक पराजय का मुंह देखना पड़ा होगा । ये शर्तें इस प्रकार थीं –
i . सैल्यूकस ने आधुनिक काबुल , कंधार , हिरात तथा बिलोचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए ।
ii. मैगस्थनीज़ को राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा गया ।
iii. सैल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलन का विवाह चन्द्रगुप्त से कर दिया ।
इस युद्ध के विषय में अपनी राय देते हुए डॉ ० रमेश चन्द्र मजूमदार ने ठीक लिखा है , ” सैल्यूकस पर चन्द्रगुप्त की विजय से महान् यवन सेनाओं की निर्बलता का भांडा उस समय फूटा जब उन्हें भारतीय युद्धकला तथा अनुशासन का सामना करना पड़ा ।
4. राज्य विस्तार -Extent of Empire — इस प्रकार चन्द्रगुप्त ने अपने बल और बुद्धि से भारत में एक विशाल मौर्य साम्राज्य की स्थापना की । उसका साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में उत्तरी मैसूर तक तथा पूर्व में यह बंगाल से लेकर पश्चिम में हिन्दूकुश पर्वत तक विस्तृत था । उसके साम्राज्य में अफ़गानिस्तान , बिलोचिस्तान , समस्त उत्तरी मैदान , सौराष्ट्र आदि प्रदेश सम्मिलित थे । इस विशाल साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र ( पटना ) थी । अन्त में जी ० के ० पिलाई के अनुसार , ” चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । ऐसा साम्राज्य न तो भारत में इससे पूर्व था न बाद में देखने में आया ।
5. अन्य विजयें -Other Conquests — ऊपरिलिखित विजयों के अतिरिक्त चन्द्रगुप्त ने कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण विजयें भी प्राप्त कीं । शक शासक रुद्रदमन के जूनागढ़ शिलालेख से पता चलता है कि सौराष्ट्र का प्रदेश चन्द्रगुप्त के अधीन था । वहां उसने पुष्यगुप्त नामक व्यक्ति को अपना गवर्नर नियुक्त किया हुआ था । उसने चन्द्रगुप्त के आदेश पर सुदर्शन झील का निर्माण करवाया । जैन तथा तमिल साहित्य के अध्ययन से यह प्रमाणित होता है कि चन्द्रगुप्त के साम्राज्य में दक्षिण भारत के प्रदेश भी सम्मिलित थे ।