मैगस्थनीज़ का मौर्य काल का विवरण

मैगस्थनीज़ का मौर्य काल का विवरण-Megasthenes’s account of the Mauryan period

मैगस्थनीज कौन था —-

मैगस्थनीज़ चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक यूनानी राजदूत था । वह चन्द्रगुप्त की राजधानी पाटलिपुत्र में 302 ई ० पू ० से 298 ई ० पू ० तक रहा । उसने उस समय में जो कुछ भारत में देखा , सुना या अनुभव किया , उसे ‘ इण्डिका ‘ नामक पुस्तक में लिख कर दिया । उसने इस पुस्तक में मौर्य काल के लोगों के जीवन पर भरपूर प्रकाश डाला है । श्री नीलकण्ठ शास्त्री लिखते हैं ” प्राचीन यूरोप को भारत के सम्बन्ध में मैगस्थनीज़ द्वारा ही सबसे अधिक ज्ञान प्राप्त हुआ है ।खेद की बात है कि यह पुस्तक अब उपलब्ध नहीं है । परन्तु इसके कुछ अंश यूनानी तथा रोमन लेखकों ( स्ट्रेबो , एरियन आदि ) की पुस्तकों में मिलते हैं । इन अंशों की सहायता से हमें उस समय के लोगों के जीवन की निम्नलिखित बातों का पता चलता है

मैगस्थनीज कौन था

1. राजा के विषय में-About the King – मैगस्थनीज ने राजा के जीवन का विस्तृत वर्णन किया है । वह लिखता है कि राजा  चन्द्रगुप्त  बड़ा परिश्रमी था । वह अपना सारा दिन दरबार में व्यतीत करता था राजा राजमहल में ठाठ – बाट से रहता था । उसके महल की शोभा अद्वितीय थी । उसके महल के चारों ओर एक बाग था जो फूलों की महक और पक्षियों के मधुर गीतों से सुशोभित था । साथ ही साथ सुन्दर सरोवर था जिसमें रंग – बिरंगी मछलियां विचरण करती थीं । वह लिखता है कि चन्द्रगुप्त षड्यन्त्रों के भय से कभी एक कमरे में नहीं सोता थाप्रत्येक रात्रि को उसके सोने का कमरा बदल दिया जाता था । उसकी अंगरक्षिका स्त्रियां होती थीं । जब कभी वह शिकार खेलने जाता था तो स्त्रियां उसके साथ जाती थीं । राजा केवल चार कार्यों के लिए अपने महल से बाहर जाया करता था –

i.  युद्ध के लिए ,

ii. शिकार के लिए ,

iii. न्याय कार्य के लिए ,

iv. धार्मिक कार्यों के लिए ।

राजा का जन्म दिवस राज्य के लिए हर्ष का विषय होता था । इस अवसर पर उसके कर्मचारी तथा प्रमुख सरदार उसे भेटे देते थे ।

2. शासन प्रबन्ध के विषय में-About the Administration — मैगस्थनीज़ लिखता है कि राजा निरंकुश था । फिर भी वह जनता के हितों को प्राथमिकता देता था । प्रजा राजा को किसी भी समय अपनी शिकायतें सुना सकती थी । प्रजा से अनेक कर वसूल किए जाते थे । इनमें भूमि कर प्रमुख था जो उपज के 1/6 अथवा 1/4 भाग के रूप में लिया जाता थाकृषकों की समृद्धि की ओर विशेष ध्यान दिया जाता था । सिंचाई के लिए नहरों की व्यवस्था थी । लोगों की सुविधा के लिए राज्य में अनेक iबनाई गई थीं और उनके दोनों ओर छायादार वृक्ष लगाए गए थे । राज्य में सड़कें सुरक्षित थीं । चोरी तथा डाके की घटनाएं बहुत कम हुआ करती थीं । राज्य में गुप्तचरों का जाल बिछा हुआ था जो राजा को प्रत्येक बात की सूचना दिया करते थे । राजा की सेना का प्रबन्ध पांच – पांच सदस्यों की छः समितियों के हाथ में था । ये समितियां सेना के विभिन्न अंगों तथा कार्यों का प्रबन्ध करती थीं । उसकी सेना में 6 लाख पैदल , 30 हज़ार घुड़सवार , 9 हज़ार हाथी और 8 हज़ार रथ सम्मिलित थे । यह सेना बहुत ही शक्तिशाली तथा अनुशासित थी ।

3. राजधानी के विषय में-About the Capital – मैगस्थनीज ने चन्द्रगुप्त की राजधानी पाटलिपुत्र का भी विस्तारपूर्वक उल्लेख किया है । उसने पाटलिपुत्र को पालिब्रोथा कहा है । यह नगर गंगा तथा सोन नदी के संगम पर स्थित था । इसकी लम्बाई लगभग 80 स्टेडिया ( 13 कि ० मी ० ) तथा चौड़ाई 15 स्टेडिया ( लगभग 24 कि ० मी ० ) थी । इसके गिर्द एक लकड़ी की दीवार थी जिसमें 64 दरवाज़े तथा 570 बुर्ज थे । राजधानी की सुरक्षा के लिए में 5 सदस्य होते थे । ये परिषदें व्यवसाय , विदेशी यात्रियों की देखभाल , जनगणना , व्यापार , आर्थिक दशा तथा तैयार की हुई वस्तुओं की देखभाल करती थीं ।

4. सामाजिक दशा के विषय में-About the Social Condition- मैगस्थनीज़ के अनुसार उस समय का समाज सात जातियों में विभक्त था । प्रथम श्रेणी में ब्राह्मण तथा दार्शनिक थे । ब्राह्मणों का समाज में बड़ा आदर था । दूसरी जाति में कृषक लोग थे । इस जाति का कार्य कृषि करना था । तीसरी जाति गोप और शिकारियों की थी । चौथे वर्ग में पशुपालक , पांचवें वर्ग में शिल्पकार और व्यापारी , छठे वर्ग में राज्य के साधारण कर्मचारी तथा सातवें वर्ग में राज्य के उच्च कर्मचारी सम्मिलित थे । मैगस्थनीज़ लिखता है कि लोगों का मुख्य भोजन गेहूं , चावल , फल तथा दूध था । उनके भोजन करने का समय निश्चित नहीं था । उसके अनुसार उस समय लोग सदाचारी जीवन व्यतीत करते थे । वे ईमानदार थे तथा सदा सत्य बोलते थे । समाज में स्त्रियों की दशा बहुत अच्छी थी । सती प्रथा और पर्दा प्रथा को कोई नहीं जानता थाबहु विवाह प्रचलित था , परन्तु दास प्रथा नहीं थी । मैगस्थनीज कौन था

5. अद्भुत बातों के विषय में-About the Surprising Things – मैगस्थनीज़ ने भारत की कुछ अद्भुत बातों पर प्रकाश डाला है । वह लिखता है कि भारत के कुछ भागों में लोगों का कद तीन फुट से अधिक नहीं थाकुछ जातियों के लोगों के कान इतने लम्बे होते थे कि वे उनके पांवों तक पहुंच जाते थे । कई मनुष्य इन बड़े – बड़े कानों में ही सो जाते थे । कई मनुष्यों के मस्तक के बीच तीसरा नेत्र था । कुछ लोग ऐसे भी थे जिनकी नाक नहीं होती थी । उसने कुछ ऐसे मनुष्यों का वर्णन किया है जिनमें कुत्तों का मस्तिष्क था । ये सभी बातें काल्पनिक जान पड़ती हैं । अत : इन पर विश्वास नहीं किया जा सकता । कुछ इतिहासकार मैगस्थनीज द्वारा किए गए वर्णन को विश्वसनीय नहीं मानते । परन्तु यह बात सत्य नहीं । मैगस्थनीज़ द्वारा प्रदान की गई अधिकतर जानकारी ऐतिहासिक पक्ष से बहुत लाभप्रद है । निःसन्देह इसे मौर्य काल का अति महत्त्वपूर्ण स्रोत माना जाना चाहिए ।

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