राजेन्द्र प्रथम की सफलताएं – Achievements of Rajendra I 

राजराज प्रथम की मृत्यु के पश्चात् उसका सुयोग्य पुत्र राजेन्द्र प्रथम 1014 ई ० में चोल सिंहासन प्रतिष्ठित हुआ । उसे 1012 ई ० में ही औपचारिक रूप से युवराज नियुक्त कर दिया गया था । उसने सिंहासन बैठने से पूर्व ही सैन्य संचालन तथा प्रशासन का पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लिया था । उसने पश्चिमी चालुक्यों , पाण्ड्यों एवं श्रीलंका के विरुद्ध भेजी गई चोल सेनाओं का नेतृत्व किया था । सिंहासन पर बैठने के पश्चात् राजेन्द्र प्रथम ने चोल साम्राज्य का अधिक विस्तार किया । उसने प्रशासन में उल्लेखनीय सुधार किए तथा कला प्रोत्साहन दिया । निस्सन्देह राजेन्द्र प्रथम ने चोल साम्राज्य की शक्ति एवं गौरव को पराकाष्ठा पर पहुंचा दिया ।

 विजयें-Conquests — राजेन्द्र प्रथम एक महान् विजेता था । उसके शासनकाल में चोल साम्राज्य की सीमा का विस्तृत विस्तार हुआ । उसकी प्रमुख विजयों का संक्षिप्त विवरण निम्न अनुसार है

राजेन्द्र प्रथम की सफलताएंराजेन्द्र प्रथम की सफलताएं

1. पाण्ड्यों की विजय-Conquests of Pandyas  — राजेन्द्र प्रथम के शासनकाल में चोलों ने पाण्ड्यों पर विजय प्राप्त कर ली थी , किन्तु इसका शासक पुनः स्वतन्त्र होने का प्रयास कर रहा था । राजेन्द्र प्रथम इसे सहन करने को तैयार नहीं था । अतः उसने 1017 ई ० में पाण्ड्यों की राजधानी मदुरा पर एक विशाल सेना सहित आक्रमण कर दिया । पाण्ड्य शासक भयभीत होकर भाग गया । परिणामस्वरूप राजेन्द्र प्रथम ने पाण्ड्य राज्य पर अधिकार कर लिया । राजेन्द्र ने अपने पुत्र सुन्दर चोल को यहां का गवर्नर नियुक्त किया ।

2.पश्चिमी चालुक्यों के साथ युद्ध-War with Western Chalukyas  — चोल शासकों का सत्ता लिए पश्चिमी चालुक्यों के साथ एक दीर्घकालीन संघर्ष चलता आ रहा था । 1016 ई ० में जयसिंह द्वितीय पश्चिमी चालुक्यों का नया शासक बना । उसने चोल शासकों द्वारा चालुक्य साम्राज्य से छीने गए प्रदेशों को पुनः प्राप्त करने के प्रयास आरम्भ कर दिए । अतः 1021-22 ई ० में राजेन्द्र प्रथम ने चालुक्य राज्य पर आक्रमण कर दिया । मुशंगी नामक स्थान पर हुई एक भयानक लड़ाई में जयसिंह द्वितीय पराजित हुआ और वह जंगलों की ओर भाग गया । इसे राजेन्द्र प्रथम की महत्त्वपूर्ण विजयों में से एक माना जाता है ।

3. केरल की विजय-Conquest of Kerala – 1018 ई ० में राजेन्द्र प्रथम ने केरल राज्य पर आक्रमण कर दिया । यहां का चेर शासक राजेन्द्र प्रथम की सेनाओं का सामना न कर सका तथा उसने अपनी पराजय स्वीकार कर ली । अत : समस्त केरल राज्य को चोल साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया गया । सुन्दर चोल पाण्ड्य को ही केरल का भी गवर्नर नियुक्त किया गया ।

4. श्रीलंका की विजय ( Conquest of Sri Lanka ) – राजराज प्रथम के शासनकाल में उत्तरी श्रीलंका को विजित कर लिया गया था । राजेन्द्र प्रथम सम्पूर्ण श्रीलंका पर अधिकार करना चाहता था । इस उद्देश्य से उसने 1018-19 ई ० में एक विशाल सेना सहित दक्षिण श्रीलंका पर आक्रमण कर दिया । यहां के शासक महिन्द पंचम को चोल सेनाओं ने कड़ी पराजय दी तथा उसे बन्दी बना लिया गया । इसके पश्चात् चोल सेनाओं ने श्रीलंका में भयंकर लूटमार की तथा अनेक बौद्ध विहारों को ध्वस्त कर दिया । राजेन्द्र प्रथम ने यहां अनेक शिव एवं विष्णु मन्दिरों का निर्माण करवाया । महिन्द पंचम ने चोल राज्य में शरण ली किन्तु उसके पुत्र कस्सप ने चोलों के साथ अपना संघर्ष जारी रखा था । वह रोहण क्षेत्र को चोलों से मुक्त करवाने में सफल हो गया । यहां कस्स विक्रमबाहु की उपाधि धारण कर शासन किया ।

5. श्री विजय साम्राज्य की विजय-Conquest of Sri Vijaya Empire— राजेन्द्र प्रथम की श्री विजय के साम्राज्य पर विजय को उसकी सबसे महान् सफलता माना जाता है । उस समय श्री विजय साम्राज्य मलाया , प्रायद्वीप , जावा , सुमात्रा और निकटवर्ती द्वीपों तक फैला हुआ था । इस अभियान में जो एक बड़ा नौसैनिक अभियान था , में राजेन्द्र प्रथम को पूर्ण सफलता प्राप्त हुई । इस कारण न केवल श्री विजय साम्राज्य के प्रदेशों पर राजेन्द्र प्रथम का अधिकार हो गया अपितु चीन और दक्षिण राज्य के मध्य व्यापार का मार्ग भी खुल गया ।

6. वेंगी राज्य में हस्तक्षेप-Interference in the Vengi Kingdom  – वेंगी में पूर्वी चालुक्यों का शासन था । 1019 ई ० में यहां के शासक विमलादित्य की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्रों राजराज नरेन्द्र तथा विजयादित्य में उत्तराधिकार का युद्ध आरम्भ हो गया । ये दोनों सौतेले भाई थे । राजेन्द्र प्रथम ने राजराज नरेन्द्रका विष्णुवर्धन पक्ष लिया क्योंकि वह उसका मामा था । अतः उसने विक्रम चोल के नेतृत्व में एक चोल सेना वेंगी भेज दी । इस सेना का समाचार सुनकर विष्णुवर्धन भाग गया । अतः राजराज नरेन्द्र का अभिषेक किया गया । राजेन्द्र प्रथम ने अपनी पुत्री अमंगादेवी का विवाह उससे कर दिया । इस प्रकार वेंगी राज्य पर चोलों का प्रभुत्व बढ़ गया ।

7. गंगा अभियान-The Gangetic Expedition — राजेन्द्र प्रथम के शासनकाल के गंगा अभियान को उसका महान् कारनामा माना जाता है । यह अभियान 1022 ई ० में आरम्भ किया गया था तथा यह पूरे दो वर्षों तक चला । इस अभियान के दौरान उसने बिहार तथा बंगाल के शासकों को पराजित कर उनके प्रदेशों पर कब्ज़ा कर लिया । इस शानदार विजय की स्मृति में उसने गंगईकोण्ड चोलपुरम नामक एक नयी राजधानी बनायी ।

8. अन्य सफलताएं-Other Achievements — राजेन्द्र प्रथम न केवल एक महान् विजेता था अपितु एक योग्य शासन प्रबन्धक भी था । उसे अपने पिता से विरासत में एक अच्छा शासन प्रबन्ध मिला था । उसने आवश्यकता अनुसार इसमें महत्त्वपूर्ण सुधार किए । उसने प्रजा तथा विशेष रूप से कृषकों को खुशहाल बनाने के लिए अथक प्रयास किए । उसने साम्राज्य की सुरक्षा के लिए सेना तथा नौसेना को अधिक शक्तिशाली बनाया । उसने व्यापार की उन्नति के लिए भी विशेष प्रयत्न किए । उसने गंगईकोण्ड चोलपुरम नामक एक नई राजधानी बनाई जिसकी सुन्दर मन्दिरों तथा तालाबों से सजावट की गई । उसने कई प्रकार के तथा विशेषतः चांदी के सिक्के जारी किए । उसे कला तथा साहित्य के साथ बहुत प्रेम था । उसने सभी धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई । अन्त में हम बी ० पी ० साहा तथा के ० एस ० बहेरा ने इन शब्दों के साथ सहमत हैं

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