सातवाहन कौन थे -Who were the Satavahanas 

सातवाहन कौन थे-

सातवाहन कौन थे ? इसके सम्बन्ध में इतिहासकारों में मतभेद हैं । इनका सम्बन्ध आन्ध्र वंश की एक जाति से था । वे स्वयं को ब्राह्मण कहलाते थे । पुराणों में सातवाहन और आन्ध्र के नाम साथ – साथ दिए गए हैं । इसलिए विद्वानों का विचार है कि ये दोनों एक ही जाति के नाम थे । सातवाहनों को आन्ध्रभृत्य भी कहा जाता था क्योंकि इनके पूर्वज पहले आन्ध्र शासकों अर्थात् मौर्यों के अधीन सामन्त थे । आरम्भ में उन्होंने महाराष्ट्र में अपना शासन स्थापित किया । धीरे – धीरे उन्होंने मगध को भी अपने अधीन कर लिया । उन्होंने मौर्य शासक चन्द्रगुप्त का आधिपत्य स्वीकार कर लिया ।

सातवाहन कौन थे

उनके सम्बन्ध में हमें मैगस्थनीज़ की पुस्तक इंडिका , अशोक के शिलालेखों और पुराणों से ज्ञात होता है । मौर्य वंश के पतन के पश्चात् सातवाहन शासकों ने आन्ध्र प्रदेश में अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी । सातवाहन वंश के 19 शासकों ने 300 वर्षों तक शासन किया ।

सातवाहन वंश के प्रमुख शासक -Main Rulers of the Satavahanas- सातवाहन वंश के प्रमुख शासकों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. सिमुक-Simuka-— सिमुक सातवाहन वंश का संस्थापक था । वह पहले कण्व राजाओं के अन्तर्गत सामन्त था । उसने कण्व वंश के अन्तिम शासक सुश्रमन का वध करके प्रथम शताब्दी में मगध पर अधिकार कर लिया था । उसने लगभग 23 वर्ष तक शासन किया । इस समय के दौरान उसने शुंग वंश की शक्ति को नष्ट किया । सिमुक अपने शासनकाल के अन्तिम वर्षों में अत्याचारी बन गया था । इसलिए उसे सिंहासन से उतार दिया गया और उसकी हत्या कर दी गई ।

2. कृष्ण-Krishna— सिमुक की मृत्यु के पश्चात् उसका भाई कृष्ण सिंहासन पर बैठा । वह बड़ा वीर शासक था । उसने 18 वर्ष तक शासन किया । अपने शासनकाल के दौरान उसने अपने राज्य का खूब विस्तार किया । उसने अपने राज्य में नासिक को भी सम्मिलित कर लिया जहां पर उसने एक गुफ़ा का निर्माण करवाया । –

3. शातकर्णि प्रथम-Satakarni I  —शातकर्णि प्रथम सातवाहन वंश के संस्थापक सिमुक का पुत्र था । वह एक महान् योद्धा था । अपने 8 वर्ष के शासनकाल के दौरान उसने बहुत से क्षेत्रों पर अधिकार किया । इनमें से पश्चिमी मालवा , अनूप और विदर्भ ( आधुनिक बरार ) प्रमुख थे । अपनी विजयों के उपलक्ष्य में उसने अश्वमे 400 और राजसूय यज्ञ करवाए और ‘ सम्राट् ‘ एवं ‘ दक्षिण पथपति ‘ की उपाधियां धारण कीं । इस शासक के बारे में हमें नानाघाट अभिलेख तथा हाथी गुफ़ा अभिलेख से महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है ।

4. शातकर्णि द्वितीय-Satakarni II  — शातकर्णि द्वितीय सातवाहन वंश का छठा शासक था । उसने 56 वर्षों तक शासन किया । उसने शुंग शासकों से पूर्वी मालवा विजित किया । वह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमें इस शासक की अन्य घटनाओं के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं हो पाई है ।

5. हाल-Hala — हाल ने केवल चार वर्ष तक शासन किया । उसने साहित्य को खूब संरक्षण प्रदान किया । वह स्वयं एक महान् कवि था । उसने गाथासप्तशती नामक एक काव्य पुस्तक की रचना की । यह पुस्तक प्राकृत भाषा में लिखित थी ।

6. गौतमीपुत्र शातकर्णि -Gautmiputra Satakarni – गौतमीपुत्र शातकर्णि सातवाहन वंश का सबसे विख्यात और शक्तिशाली शासक था । उसने 106 ई ० से 130 ई ० तक शासन किया । नासिक शिलालेख से ज्ञात होता है कि उसने शक , यवन और पहलव की शक्ति का दमन किया । उसने मालवा के शक्तिशाली शासक नहपान को भी कड़ी पराजय दी । उसके साम्राज्य में गुजरात , महाराष्ट्र , मालवा , विदर्भ , कोंकण , पूना और नासिक के प्रदेश सम्मिलित थे । वह न केवल एक महान् योद्धा था , बल्कि एक अच्छा शासन – प्रबन्धक भी था । उसकी शासन व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य प्रजा का कल्याण करना था । यह धर्म शास्त्रों के सिद्धान्तों पर आधारित था । इस प्रकार उसने सातवाहन वंश के गौरव को पुनर्जीवित किया । डॉक्टर के ० सी ० चौधरी का यह कहना पूर्णत : ठीक है , ” गौतमीपुत्र शातकर्णि सातवाहन शासकों में से सबसे महान् था जिसकी सफलताओं ने सातवाहन वंश का एक दीर्घकालीन गुमनामी और बदनामी के पश्चात् एक समृद्ध शताब्दी का सूत्रपात किया ।

7. वासिष्ठीपुत्र पुलमावी द्वितीय ( Vashishtiputra Pulumayi II ) — वह सातवाहन वंश का एक अन्य शक्तिशाली शासक था । उसने 130 ई ० से 154 ई ० तक शासन किया । वह अपने पिता गौतमीपुत्र शातकर्णि की तरह बहुत वीर था । उसने न केवल अपने पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त किए साम्राज्य को सुरक्षित रखा , अपितु इसमें और वृद्धि की । परिणामस्वरूपं उसके शासनकाल में सातवाहन शक्ति अपनी सर्वोच्चता पर पहुंच गई । उसने प्रतिष्ठान अथवा पैठान को अपनी राजधानी बनाया । उसके शासनकाल में उसके एवं शकों के बीच एक संघर्ष चलता रहा । शकों के विख्यात् शासक रुद्रदमन प्रथम ने पुलमावी को दो बार पराजित किया परन्तु वैवाहिक सम्बन्ध के कारण उसकी शक्ति को नष्ट न किया । रुद्रदमन ने सातवाहन राज्य के कुछ प्रदेशों पर अधिकार कर लिया ।

8. यज्ञश्री शातकर्णि-Yagya Sri Satakarni – यज्ञश्री शातकर्णि सातवाहन वंश का अन्तिम विख्यात शासक था । उसने 165 ई ० से 194 ई ० तक शासन किया । उसने शकों को कई बार पराजित किया तथा उनसे वे सभी प्रदेश पुनः विजित कर लिए थे जो उन्होंने उसके पूर्वजों से छीन लिए थे । उसके प्राप्त सिक्कों से ज्ञात होता है कि उसका राज्य खाड़ी बंगाल से लेकर अरब सागर तक फैला हुआ था । उसने अपने शासनकाल में आन्तरिक और विदेशी व्यापार को बहुत प्रोत्साहित किया । उसकी मृत्यु के पश्चात् सातवाहन वंश की शक्ति क्षीण हो गई ।

9. सातवाहनों का पतन-Downfall of the Satavahanas — सातवाहन साम्राज्य के पतन के कारणों का हमें अधिक ज्ञान नहीं है । यज्ञ श्री सातकनि के उत्तराधिकारी निर्बल तथा निकम्मे थे । वे इतने विशाल साम्राज्य का शासन चलाने में असमर्थ थे । इस स्थिति का लाभ उठाकर सातवाहनों के कई वंशजों ने दक्षिण के भिन्न – भिन्न भागों में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी । आभीरों ने महाराष्ट्र पर आधिपत्य जमा लिया । इक्ष्वाकु तथा पल्लवों ने पूर्वी दक्कन पर अधिकार कर लिया । रुद्र सातकनि ने पश्चिमी दक्कन में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी । परिणामस्वरूप सातवाहन साम्राज्य के गौरव का अंत हो गया ।

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