सिन्धु घाटी की सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में क्या अन्तर है

सिन्धु घाटी की सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में अन्तर ( Difference between the Indus Valley Civilization and the Vedic Civilization ) 

हड़प्पा सभ्यता क्या है

 

सिन्धु घाटी की सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता दोनों ही प्राचीन एवं गौरवमयी सभ्यताएं हैं । इन दोनों सभ्यताओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने से हमें पता चलता है कि इनकी विशेषताओं में जहां कुछ समानताएं पाई जाती हैं , वहां अनेक असमानताएं भी पाई जाती हैं । वैसे भी इन सभ्यताओं की समान विशेषताओं की अपेक्षा असमान विशेषताओं का अधिक होना स्वाभाविक है । इसका कारण यह है कि इनके काल में सम्भवतः 2 हज़ार वर्ष का अन्तर है । अग्रलिखित विवरण से इन दोनों सभ्यताओं की भिन्नता और अधिक स्पष्ट हो जाती है

सिन्धु घाटी की सभ्यता

  • यह सभ्यता आज से लगभग 5 हज़ार वर्ष पूर्व फली – फूली ।
  • सिन्धु घाटी की सभ्यता मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा की खुदाइयों से प्रकाश में आई । इन स्थानों से प्राप्त अवशेष , अस्थि पिंजर , मुहरें तथा अन्य वस्तुएं हमें उस समय के लोगों के जीवन के विषय में जानकारी प्रदान करती हैं ।
  • सिन्धु घाटी के लोगों की परिवार प्रथा के विषय में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता । इन लोगों में वर्ण – व्यवस्था तथा आश्रम व्यवस्था के प्रचलन के प्रमाण भी उपलब्ध नहीं हैं ।
  • यह सभ्यता एक नागरिक सभ्यता थी । लोग एक योजना के अनुसार नगर बसाते थे और पक्के मकानों में रहते थे ।
  • सिन्धु घाटी की खुदाई से स्तम्भों वाला एक हाल मिला है । सम्भवत : इस हाल में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि एकत्रित होकर कानून बनाते थे । अतः अनुमान है कि इस काल में देश की शासन पद्धति गणतन्त्रात्मक थी ।
  • सिन्धु घाटी के लोग लोहे के प्रयोग से अपरिचित थे । इसके विपरीत वे पत्थर का अधिक प्रयोग करते थे ।
  • इस सभ्यता के लोग मूर्ति पूजा में विश्वास रखते थे । वे मातृदेवी , शिव , पीपल , लिंग तथा योनि पूजा करते थे । हवन , यज्ञ , अग्नि तथा प्रकृति की उपासना में उन्हें कोई विश्वास न था ।
  • सिन्धु घाटी के लोगों के मनोरंजन के साधनों में घरेलू खेल प्रमुख थे । वे नृत्य , संगीत तथा शतरंज जैसी खेलें खेल कर अपना दिल बहलाया करते थे ।
  • सिन्धु घाटी के लोगों का रंग काला था । शायद वे द्राविड़ जाति से सम्बन्धित थे । वे लोग अपने शवों को दबाते भी थे तथा जलाते भी थे ।
  • सिन्धु घाटी के लोग युद्ध – कला में अधिक प्रवीण  नहीं थे । खुदाई में किसी प्रकार के विशेष अस्त्र शस्त्र प्राप्त नहीं हुए । स्पष्ट है कि वे लोग शान्तिप्रिय थे ।

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वैदिक सभ्यता

  • यह सभ्यता आज से केवल 3 हज़ार वर्ष पूर्व ही पनपी ।
  • वैदिक सभ्यता का ज्ञान हमें वेदों , ब्राह्मण – ग्रन्थों , उपनिषदों तथा महाकाव्यों आदि से ही प्राप्त होता है । इस सभ्यता का कोई भौतिक प्रमाण उपलब्ध नहीं
  • आर्यों के परिवार पितृ – प्रधान होते थे तथा उनमें संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित थी । आर्य समाज चार जातियों ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य तथा शूद्र में विभक्त था । इसी प्रकार उन्होंने मनुष्य जीवन को भी चार आश्रमों ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ तथा संन्यास आश्रम में बांट रखा था ।
  • यह एक ग्रामीण सभ्यता थी । इस समय के अधिकांश लोग कृषक थे और वे मिट्टी तथा लकड़ी के बने मकानों में रहते थे ।
  • वैदिक आर्यों की शासन पद्धति राजतन्त्रात्मक थी । राजा का पद पैतृक होता था । यद्यपि आरम्भ में सभा तथा समिति उसकी शक्ति पर नियन्त्रण रखती थीं , फिर भी कालान्तर में वह उनके प्रभाव से मुक्त हो गया था । उसके अधिकार भी काफ़ी विस्तृत थे ।
  • आर्य लोग लोहे का प्रयोग करना खूब जानते थे । उनके अस्त्र – शस्त्र लोहे के ही बने हुए थे 1 युद्ध
  • आर्यों में मूर्ति पूजा प्रचलित नहीं थी । वे खुली हवा में यज्ञ तथा मन्त्रों द्वारा अपने देवताओं की स्तुति करते थे । उनके जीवन में हवन , यज्ञ तथा अग्नि आदि का विशेष महत्त्व था ।
  • आर्य लोगों के मनोरंजन के मुख्य साधन शिकार तथा रथ – दौड़ में भाग लेना आदि बाहरी खेलें थीं ।
  • आर्य लोगों का रंग गोरा था । ये लोग अपने शवों को दबाने के स्थान पर जलाना अधिक अच्छा समझते थे ।
  • आर्य युद्ध कला में बड़े निपुण थे । वास्तव करना तो उनके जीवन का वास्तविक अंग बन चुका था । उनके मुख्य शस्त्र तलवार , कवच और ढाल थे । अतः स्पष्ट है कि आर्य युद्धप्रिय थे ।
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