विभाजन में हिस्से के विवरण के क्या नियम हैं ?
विभाजन में हिस्से के विवरण के क्या नियम हैं ? What are the rules for allotment of shares in partition ?
सामान्य नियम के अनुसार , विभाजन पृथक्करण के दिन की तद्व्यवस्था के अनुसार होना चाहिए अर्थात् विभाजन संयुक्त परिवार की व्यवस्था के अनुसार होना चाहिए । विभाजन निम्न नियमों के अनुसार किये जाते हैं
( 1 ) पिता और पुत्र के बीच विभाजन – जब किसी पिता और पुत्र के बीच विभाजन होता है तो पुत्र पिता के बराबर भाग लेता है । उदाहरणार्थ एक सहभागी सम्पत्ति के सदस्य हैं पिता तथा चार पुत्र । प्रत्येक सम्पत्ति का 1/5 भाग प्राप्त करेगा ।
पहले कानून यह था कि सबसे बड़े पुत्र को 2 अंश मिलना चाहिए था क्योंकि वह पिण्डदान देता है , किन्तु यह कानून अब मान्य नहीं रहा । उच्चतम न्यायालय ने शिरोयापी बनाम हेमकुमार ‘ के बाद में यह कहा • पिता तथा पुत्रों के बीच बँटवारे में सबसे बड़े पुत्र को ज्येष्ठांग तब तक नहीं प्रदान किया जाता . जब तक कि प्रथाओं द्वारा वह प्रतिष्ठित न किया जाये । कि
( 2 ) भाइयों के बीच विभाजन- यदि संयुक्त परिवार भाइयों का है और उनके बीच विभाजन होता है तो बँटवारे का नियम यह है कि भाई आपस में बराबर भाग लेते हैं । उदाहरणार्थ यदि एक सहदायिकी में चार भाई हैं तो चारों भाई सम्पत्ति का चौथाई भाग लेंगे । यदि भाइयों के साथ उनकी विधवा माता भी जीवित है तो वह भी अपने पुत्रों के बराबर अंश पाने की हकदार होगी ।
( 3 ) जब विभाजन शाखाओं के बीच होता है— जब विभाजन शाखाओं के बीच होता है तो प्रत्येक शाखा अन्य शाखाओं की अपेक्षा ” पितृपरक ” अंश लेती है तथा एक ही शाखा के विभिन्न सदस्य व्यक्तिपरक रूप से लेते हैं ।
( 4 ) प्रतिनिधित्व का नियम – मिताक्षरा विधि में सहदायिक के हित का न्यागमन उसकी मृत्यु के पश्चात् अन्य सहदायिकों की उत्तरजीविता के नियम के अन्तर्गत होता है । इसके साथ ही दूसरा जुड़ा हुआ नियम है यदि कोई सहदायिक पुत्र , प्रपौत्र या पौत्र छोड़कर जाये तो पुत्र , पौत्र या प्रपौत्र उसके प्रतिनिधि की सम्पत्ति से उसका हित ग्रहण करते हैं । शाखा के मुखिया की मृत्यु के पश्चात् विभाजन होने पर उसका भाग उसके पुत्र , प्रपौत्र उसके प्रतिनिधित्व को हैसियत से लेते हैं ।
उदाहरण के लिए ‘ अ ‘ एक पुत्र , 2 पौत्र , 2 प्रपौत्र तथा प्रपौत्र का पुत्र सम्मिलित करके संयुक्त परिवार की रचना करता है जैसा कि नीचे के आरेख में दिखाया गया है
यहाँ हम देखते हैं कि चार शाखायें हैं जो कि ‘ अ ‘ चार पुत्रों से दिखाई गई हैं । यहाँ ‘ क ‘ को कुछ नहीं मिलेगा क्योंकि वह सामान्य पूर्वज से पाँचवीं डिग्री पर है । यदि उपर्युक्त आरेख में दिखाये गये परिवार में विभाजन होता है तो ‘ अ ’ एक अंश लेगा , ब ’ एक अंश लेगा । स तथा से पित्तपरक अंश लेंगे । फतथा उनके प्रपौत्र पितृ परक अंश लेंगे । इस प्रकार ‘ अ ‘ 1/4 ‘ ब ‘ 1/4 तथा ‘ स ‘ 1/8 अंश प्रत्येक तथा फ तथा फ प्रत्येक 1/8 अंश प्राप्त करेगा । कोई प्रतिनिधि के रूप में कोई अंश प्राप्त नहीं करेगा ।